आज मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम यानी आयुष्मान भारत को आज केंद्रीय कैबिनेट मंजूरी दे सकती हैं. इसके तहत अगले दो साल यानी २०२० तक लगभग साढ़े दस हजार करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव हैं. साथ ही इस स्कीम पर निगरानी रखने के लिए एक अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव भी हैं. केंद्र सरकार इस स्कीम का ६० फीसदी और राज्य सरकार ४० फीसदी खर्च वहन करेगी.
बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल पेश किए गए बजट में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ का ऐलान करते हुए कहा था कि इसके तहत करीब १० करोड़ परिवारों को सालाना ५ लाख रुपये का मेडिकल कवर भी दिया जाएगा. साथ ही इस योजना का लाभ देश की ४० फीसदी आबादी यानी ५० करोड़ लोगों को मिलेगा. इसमें निजी क्षेत्र की कंपनियां भी भाग ले सकेंगी. जेटली ने बजट भाषण के दौरान कहा था कि भारत को स्वस्थ भारत बनाया जाएगा,
इसके लिए देशभर में १.५ लाख स्वास्थ्य केंद्र खोले जाएंगे. इन स्वास्थ्य केंद्रों के खोले जाने का फायदा आम लोगों को फौरी तौर पर होगा, क्योंकि उन्हें आम बीमारियों के इलाज के लिए दूर नहीं जाना होगा और पास के इन केंद्रों से इलाज करा सकेंगे. साथ ही आरोग्य से जुड़ी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी. आम लोगों को ५ लाख रुपये की बीमा का फायदा तब मिलेगा जब बीमारी बड़ी या फिर गंभीर होने की स्थिति में वह हॉस्पिटल में भर्ती होगा,
लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों का फायदा छोटे और बड़े हर तरह के बीमार लोगों को तुरंत मिलेगा. अब तक देश में एक स्वास्थ्य केंद्र से दूसरे स्वास्थ्य केंद्र के बीच काफी दूरी होती थी, लेकिन डेढ़ लाख नए स्वास्थ्य केंद्रों के आ जाने की सूरत में बीमार लोगों के लिए घर के करीब ही इलाज कराना सुलभ हो जाएगा. खासकर दूर-दराज और ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोगों के लिए. उ
नकी महंगे निजी हॉस्पिटल पर निर्भरता कम होगी. नए स्वास्थ्य केंद्र खुलेंगे तो डॉक्टरों की जरूरत भी होगी. ऐसे में सरकार ने देश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने की बड़ी योजना बनाई हैं और इसके लिए पूरे देश में २४ जिला हॉस्पिटलों को अपग्रेड करते हुए मेडिकल कॉलेज में तब्दील कर दिया जाएगा. इन मेडिकल कॉलेजों में इलाज के साथ-साथ नए डॉक्टर्स भी तैयार किए जाएंगे| खबर आजतक