
अगर क्वांटिटी कम होगी तो कीमत भी कम होगी। किसी को ज्यादा चाहिए तो दोबारा ले सकता है। ये नियम ६ महीने में लागू होने के अनुमान है ढाबों और छोटे होटलों को रहेगी इससे छूट

ने ये बताया की
प्र.क्यों लाई गई ये योजना ?
उ.हाल ही में प्रधानमंत्री ने मन की बात में इसका जिक्र किया था। तब हमने इस पर काम शुरू किया।
प्र.खाने की मात्रा सरकार कैसे तय कर सकती है? सबकी खुराक अलग होती है।
उ. मोटे तौर पर हर व्यक्ति के खाने की मात्रा करीब-करीब बराबर होती है। हां, कोई चावल ज्यादा खाता है तो कोई रोटी। बाकी में बहुत कम अंतर होता है। हम सभी पक्षों से बात करके ही मात्रा तय करेंगे। जिसे ज्यादा खाना है, वह दोबारा ऑर्डर कर सकता है।
प्र.होटल अगर हाफ प्लेट के लिए पूरी कीमत वसूले तो…
उ. होटलों में हाफ प्लेट तो मिलना चाहिए और कीमत भी फुल प्लेट से कम होनी चाहिए। सभी पक्ष इससे सहमत होंगे।
प्र.ढाबों का क्या होगा?
उ. ढाबों पर नियम लागू नहीं होगा। वहां पर पहले से ही हाफ प्लेट या कटिंग दाल-सब्जी का सिस्टम है। नई व्यवस्था स्टार होटलों और बड़े रेस्तरां के लिए होगी।
प्र.कहा जा रहा है कि होटल इंडस्ट्री सहमत नहीं है?
उ.हम अकेले नियम तय नहीं करेंगे। सभी स्टेकहोल्डर्स से बात करके ही मात्रा तय करेंगे। इसमें होटल इंडस्ट्री तो शामिल होगी ही। यह विश्वास दिलाता हूं कि इंडस्ट्री पर कोई उलटा असर नहीं पड़ेगा।
प्र.क्या इसे अपनाने वालों को सहूलियत भी मिलेगी?
उ. क्यों नहीं, अगर कोई भोजन की बर्बादी रोकने में सफल होता है तो उसे खुद फायदा होगा। इसके साथ ही हम भी प्रोत्साहन पत्र सहित कुछ कदम उठा सकते हैं।

न्यूट्रिशिस्ट नीतू झा के मुताबिक, एक दिन में एक आदमी को २ हजार कैलोरी और महिलाओं को १५०० से १८०० कैलोरी की जरुरत
होती हैं एक वक्त के खाने में एक शख्स को ७५ ग्राम आटा या तीन रोटी, ३० ग्राम दाल, ३५ ग्राम सब्जी, २५ ग्राम सलाद और ५० ग्राम दही भरपूर है। बड़े होटलों में इस लिहाज से ज्यादा खाना दिया जाता है।
फेडरेशन आॅॅॅफ एसोसिएशन्स इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी के सेक्रेटरी सईद एम शेरवानी ने बताया कि सरकार ने सभी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत करने का भरोसा दिलाया है। इस बातचीत के बाद ही हम कह पाएंगे कि वह क्या चाहते हैं और हमारा क्या मत है। पर सबसे अहम सवाल है कि जो भी नियम बनेगा उसे अमल में कैसे लाया जाएगा। खबर दैनिक भास्कर