लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से पत्र लिख कर भाजपा सांसद वरुण गांधी ने अपील की हैं कि आर्थिक रूप से संपन्न सांसदों द्वारा १६वीं लोकसभा के बचे कार्यकाल में अपना वेतन छोड़ने के लिए आंदोलन शुरू करें. बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने लोकसभा स्पीकर को लिखे पत्र में कहा हैं कि सांसदों की सैलरी १६वीं लोकसभा में नहीं बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि १६वीं लोकसभा में ४४० सांसद ऐसे हैं जिनकी संपत्ति करोड़ रुपये हैं. लोकसभा में प्रति सांसद संपत्ति १४.६१ करोड़ रुपये हैं और राज्यसभा में प्रति सांसद संपत्ति २०.१२ करोड़ हैं. ऐसे में लोकसभा स्पीकर के नाते वह करोड़ों की संपत्ति रखने वाले सांसदों से अपील करें कि वो सांसद के तौर पर सैलरी नहीं लें. वरुण गांधी ने अपने पत्र में उदाहरण दिया कि १९४९ में नेहरू की कैबिनेट ने देश के आर्थिक हालत को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया था कि वो उनकी पूरी कैबिनेट तीन महीने तक सैलरी नहीं ले लेगी.
वरुण ने अपने पत्र में लिखा हैं कि वो एक कॉन्स्टि्टूशनल बॉडी बनाए जो समय-समय पर ये बताए कि सांसदों और विधायकों की सैलरी कब और कितनी बढ़नी चाहिए. लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में वरुण गांधी ने कहा कि भारत में असमानता प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हैं. भारत में एक प्रतिशत अमीर लोग देश की कुल संपदा के ६० प्रतिशत के मालिक हैं. १९३० में २१ प्रतिशत लोगों के पास इतनी संपदा थी. भारत में ८४ अरबपतियों के पास देश की ७० प्रतिशत संपदा हैं. यह खाई हमारे लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं. भाजपा सांसद ने कहा कि हमें जन प्रतिनिधि के तौर पर देश की सामाजिक, आर्थिक हकीकत के प्रति सक्रिय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि वह समझते हैं कि सभी सांसद ऊंची आर्थिक स्थिति नहीं रखते हैं और कई अपनी आजीविका के लिए वेतन पर ही निर्भर करते हैं.
वरुण गांधी ने अपने पत्र में लिखा, ‘स्पीकर महोदया से मेरा निवेदन हैं कि आर्थिक रूप से सम्पन्न सांसदों द्वारा १६वीं लोकसभा के बचे कार्यकाल में अपना वेतन छोड़ने के लिए आंदोलन शुरू करें. उन्होंने कहा कि ऐसी स्वैच्छिक पहल से हम निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की संवेदनशीलता को लेकर देशभर में एक सकारात्मक संदेश जाएगा. उन्होंने लिखा कि अगर वेतन छोड़ने को कहना बहुत बड़ी मांग हैं तो अपनी मर्जी से अनाधिकार खुद का वेतन बढ़ा लेने की जगह पर स्पीकर महोदया वैकल्पिक तरीके को लेकर एक नया विमर्श पेश कर सकती हैं. भाजपा सांसद ने कहा कि १६वीं लोकसभा के बचे हुए कार्यकाल में हमारे वेतन को जस का तस रखने का फैसला भी इस दिशा में एक स्वागतयोग्य कदम हो सकता हैं| खबर एनडीटीवी इंडिया