आज विजयादशमी हैं जिसे लोग सदियों से बुराइयों का प्रतिक माने जाने वाले रावण के पुतले का दहन कर मनाते हैं परंतु इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की रावण के अंदर तमाम बुराईयां होने के बावजूद भी वो प्रकांड पंडित व अति ज्ञानी व्यक्ति था. जब भगवान राम ने उसका वध किया तो मरने से पहले उसने लक्ष्मण को कुछ बातें सिखाई थीं. ये ऐसी बाते हैं, जो आपके-हमारे लिए आज के संदर्भ में भी उतनी ही सटीक हैं जितनी कि उस समय के लिए थीं
१ : अपने सारथी, दरबान, खानसामे और भाई से दुश्मनी मोल मत लीजिए. वे कभी भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
२ : खुद को हमेशा विजेता मानने की गलती मत कीजिए, भले ही हर बार तुम्हारी जीत हो.
३ : हमेशा उस मंत्री या साथी पर भरोसा कीजिए जो तुम्हारी आलोचना करती हो.
४ : अपने दुश्मन को कभी कमजोर या छोटा मत समझिए, जैसा कि हनुमान के मामले में भूल हूई.
५ : ये भ्रम कभी मत पालिए कि आप किस्मत को हरा सकते हैं. भाग्य में जो लिखा होगा उसे तो भोगना ही पड़ेगा.
६ : ईश्वर से प्रेम कीजिए या नफरत, लेकिन जो भी कीजिए, पूरी मजबूती और समर्पण के साथ.
७ : जो राजा जीतना चाहता हैं, उसे लालच से दूर रहना सीखना होगा, वर्ना जीत मुमकिन नहीं.
८ : राजा को बिना टाल-मटोल किए दूसरों की भलाई करने के लिए मिलने वाले छोटे से छोटे मौके को हाथ से नहीं निकलने देना चाहिए.
इन्ही प्रकार की बाते रावण ने लक्ष्मण के साथ साथ हमें भी सिखाई हैं वो तो चला गया उसका नास राम चन्द्र ने किया आप भी अपने अंदर बितर शैतान यानी रावण का आज वध कर विजई बनिए|