केरल में किसान के आत्महत्या करने के मामले पर राजनीतिक विवाद छिड़ा

केरल में अलप्पुझा के कुट्टनाड क्षेत्र में एक किसान ने कथित तौर पर सरकार द्वारा खरीदी गई धान की फसल का भुगतान नहीं मिलने के चलते आर्थिक समस्याओं के कारण शनिवार को आत्महत्या कर ली। पुलिस ने यह जानकारी दी।

किसान के. जी प्रसाद द्वारा कथित तौर पर लिखा सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें उसने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार तथा कुछ बैंक उसकी मौत के लिये जिम्मेदार हैं। इस पत्र के सामने आने के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।

राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान पास के तिरुवल्ला में एक अस्पताल पहुंचे, जहां मृत व्यक्ति का शव रखा गया था। खान ने कहा कि राज्य में किसान भारी संकट का सामना कर रहे हैं और वह प्रसाद के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।

प्रसाद की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने आरोप लगाया कि सरकार धान की खरीद में विफल रही और किसानों का भुगतान महीनों से बकाया है।

पुलिस ने बताया कि यहां तकाझी के आंबेडकर कॉलोनी निवासी प्रसाद ने शुक्रवार रात को जहर खा लिया, उसे तिरुवल्ला के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां शनिवार तड़के उसकी मौत हो गई।

पुलिस ने अभी तक यह पुष्टि नहीं की है कि क्या आर्थिक संकट के कारण उसने यह कदम उठाया, लेकिन प्रसाद के दोस्तों और अन्य किसानों ने आरोप लगाया कि किसान (प्रसाद) को सरकार से उसकी खरीदी गई फसल के लिये भुगतान नहीं मिला, जिसके कारण उसने यह कदम उठाया।

प्रसाद द्वारा कथित तौर पर लिखे गए सुसाइड नोट को आज सुबह कुछ समाचार चैनल ने अपनी खबर में दिखाया।

एक वीडियो कॉल के दृश्य भी चैनलों द्वारा प्रसारित किए गए। यह कॉल प्रसाद ने कथित तौर पर आत्महत्या से ठीक पहले की थी।

वीडियो कॉल पर बातचीत में भावुक दिख रहे प्रसाद को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह एक असफल व्यक्ति है और बैंक कम ‘सिबिल स्कोर’ के कारण उसे ऋण देने से इनकार कर रहे हैं।

प्रसाद ने यह आरोप भी लगाया कि उसे ‘पैडी रिसीट शीट (पीआरएस)’ योजना के तहत फसल कटाई के बाद ऋण के रूप में पिछले सीज़न के लिए धान खरीद मूल्य प्राप्त हुआ था और इसे चुकाने में सरकार की विफलता के कारण बैंकों ने इस बार उसे ऋण देने से इनकार कर दिया।

एक किसान ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यद्पि सरकार ने प्रसाद से धान की खरीद की थी, लेकिन उसने उसे फसल का भुगतान नहीं किया, बल्कि उसे ऋण के तौर पर धन दिया गया।

एक अन्य किसान ने कहा, ‘‘राज्य सरकार को इस ऋण राशि का भुगतान बैंक को करना चाहिए था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

स्वाभाविक रूप से इससे प्रसाद का सिबिल स्कोर कम हो गया। जब उसने ऋण के लिए हाल में बैंक से संपर्क किया, तो बैंक अधिकारियों ने कम सिबिल स्कोर का हवाला देते हुए उसे धन देने से इनकार कर दिया।’’

हालांकि, पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि इस बात की पुष्टि होनी अभी बाकी है कि किसान ने अर्थिक संकट के कारण यह कदम उठाया।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ हमें जो (परिजनों से) पता चला है, उसके अनुसार प्रसाद के करीबी किसी व्यक्ति का हाल में निधन हो गया था और इससे प्रसाद अवसाद में था।’’

किसान की मौत पर शोक जताते हुए राज्यपाल खान ने कहा कि किसान आम तौर पर बहुत विवश हैं और वास्तविक परेशानियों में जी रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे और पता लगाएंगे कि किसानों के लिए स्थिति को कुछ हद तक आसान बनाने के लिए वास्तव में क्या किया जा सकता है।

उन्होंने तिरुवल्ला में संवाददाताओं से कहा, मैं कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं…लेकिन निश्चित रूप से इस मामले को राज्य और केंद्र सरकार के सामने उठाऊंगा।

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी की जाने वाली धनराशि पहले ही जारी कर दी गई है, तो फिर समस्या कहां है।

इससे पहले दिन में, खान ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह समारोहों पर पैसा खर्च कर रही है, लेकिन गरीब लोगों को प्राथमिकता नहीं दे रही।

विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने भी किसानों की आत्महत्या के मामले में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार पर जमकर निशाना साधा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सतीशन ने कहा कि प्रसाद किसानों के प्रति राज्य सरकार की क्रूर उपेक्षा के आखिरी शिकार थे।

उन्होंने कहा, यहां तक ​​कि अपने सुसाइड नोट में भी, प्रसाद ने सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन का यही रवैया रहा, तो केरल में और अधिक किसान ऐसे कदम उठाएंगे।

भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख के. सुरेंद्रन तिरुवल्ला अस्पताल पहुंचे, जहां किसान के शव को रखा गया था। उन्होंने पिनराई विजयन सरकार पर प्रसाद की मौत के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया।

उन्होंने आरोप लगाया, राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियां उनकी आत्महत्या का कारण बनीं।

सुरेंद्रन ने कहा कि अगर किसानों को कम से कम केंद्र द्वारा आवंटित राशि दी गई होती, तो यह त्रासदी नहीं होती।

राज्य के कृषि मंत्री पी. प्रसाद विदेश में में हैं और उनसे बात नहीं हो पाई।
हालांकि, नागरिक आपूर्ति मंत्री जी.आर. अनिल ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि पीआरएस बकाया किसान की आत्महत्या का कारण नहीं है।

सरकार पर कर्ज की रकम नहीं चुकाने के संबंध में लगे आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों से खरीदे गए चावल के पैसे का भुगतान कर दिया गया है।

मंत्री ने कहा कि राज्य में ऐसी कोई स्थिति नहीं है, जिसमें किसान पीआरएस बकाया के कारण कम सिबिल स्कोर के कारण बैंक ऋण नहीं ले पा रहे हों।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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