-Harsh Raj
मेरी जिंदगी का हर पल खुशनुमा रहा है क्योंकि मैं हर पल कुछ न कुछ सीखने की चाह रखती हु और भोजपुरी गानो को एक अच्छी छवि की ओर लेजाना चाहती हूँ : लोकगायिका संजोली पाण्डेय
लोकगायन की उभरती हुई कलाकार संजोली पाण्डेय जिनकी आवाज़ एक नई पहचान बन चुकी हैं इस क्षेत्र में उनसे एक खाश बात चीत के अंश
गायकी कि ओर ये रुझान कब और कैसे आया आपको ? मेरी माँ बताती है कि मैंने जब बोलना शुरू किया तभी से मैंने गाना भी शुरू किया मम्मी बताती हैं की मैं रोती भी थी तो सुर में रोती थी और प्रोफेसनली तरीके से मैंने संगीत का सफ़र दसवी कक्षा से अपने परिवार अध्यापकों और दोस्तों के सपोर्ट से सुरु किया और उन सभी ने कहा की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लो और आगे बढ़ो फिर मैंने हिस्सा लेना सुरु किया बहुत सारे पुरस्कार भी जीते तो हौसला बढ़ता गया और बचपन से लोकगीतों को सुनती थी और सोचती थी की ऐसा क्या हैं इनमें जो मैं नहीं गा सकती फिर मैंने अपनी माँ से उसे सीखा और फिर इस क्षेत्र में अपना कदम आगे बढ़ाया |
गाने की ये कला इसकी शिक्षा-दीक्षा मेरी पहली गुरु तो मेरी माँ ही है लोकगीतों की शिक्षा मुझे माँ से मिली एक अच्छी सिंगर बनने के लिए शास्त्रीय संगीत सीखना बहुत जरुरी हैं तो मैंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा भातखण्डे संगीत संस्थान जो की लखनऊ में हैं वहा से शास्त्रीय संगीत सीखा आज भी संगीत की शिक्षा मेरी गुरु माँ श्रीमती सीमा भारद्वाज जी से ले रही हु |
परफॉर्म के दौरान क्या मेहसूस करती हैं क्या सोचती हैं बहुत सारे इवेंट्स हो रहे हैं आज कल तो मंच पर जाने से पहले मैं यही सोचती हूँ कि अपने लोक गीतों को अपनी लोक विधाओं को जन जन तक पहुचाना है और किसी भी मामले में अपनी संस्कृति अपनी परम्परा कमजोर ना पड़े इसके बारे में सोचती हु | जीवन में अब तक का सबसे खुशनुमा पल वैसे तो मेरी जिंदगी का हर पल खुशनुमा रहा है क्यों की मैं हर पल कुछ न कुछ सिखने की चाह रखती हु और हर पल को ख़ुशी से जीती हूँ । हाँ ये होता है की कोई एक पल बहुत यादगार होता है मेरा यादगार पल वो था जब मुझे मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए बुलाया गया और पहली बार मेरे नाम के आगे लोकगायिका शब्द जुड़ा |
खाली समय में कहा रेहना या जाना पसंद करती हैं और क्यों ? जब भी मुझे खाली समय मिलता है मैं रियाज़ करती हूँ और इसके बाद भी अगर समय मिलता है तो मुझे कुकिंग का बहुत शौक है और खाने की भी बहुत शौकीन हूँ तो खाना बनाना और लोगो को खिलाना पसंद करती हूँ |
आगे की प्लानिंग्स, फ्यूचर में और क्या करना चाहती हैं आगे की प्लानिंग ये है की भोजपुरी गानो को एक अच्छी छवि की ओर लेजाना साथ ही भोजपुरी गानो और अपने लोक गीतों को घर घर तक पंहुचा पाऊ और लोक गायन से जुदा मेरा एक एल्बम भी रिलीज़ हुआ पारंपरिक धरोहर |
आप इस देश की युथ का एक हिस्सा हैं और आपने एक अच्छा मुकाम हासिल किया हैं इस उम्र में तो क्या सन्देश देना चाहेंगी आप आज के इस युथ को ? इस देश की युवा को मैं यही बोलना चाहूंगी कि आप मॉडर्न बनिए पाश्चात् सभ्यता को अपनाइये लेकिन अपनी संस्कृति और सभ्यता को मत भूलिए अपने माता पिता का सम्मान करिये और उनका नाम रौशन कीजिए |
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