इस साल की शुरुआत में में ही भारत एनएसजी सदस्यता के मामले पर चीन को विरोध करने से रोकने के लिए रूस तक पहुंचा था और एक अधिकारी ने पहचान न जारी करने की शर्त पर कहा कि ‘रूस एक अहम सामरिक साझेदार हैं और एक दोस्त मुल्क के साथ सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करना स्वभाविक हैं. भारत पिछले छः महीनों के दौरान मॉस्को से इस बात के लिए संपर्क में हैं कि वह चीन को भारत विरोधी रवैया छोड़ने के लिए मनाए. लेकिन डोकलाम में चीन के साथ मिलिटरी गतिरोध के बीच भारत ब्रिक्स बैठक से पहले इस मुद्दे पर रूस का समर्थन चाहता हैं. आधिकारिक सूत्रों का कहना हैं कि दोनों देशों की सरकारें इस मसले पर संपर्क में हैं और इस मसले पर ट्रंप प्रशासन का स्पष्ट रुख सामने नहीं आना भारत के लिए झटके जैसा हैं. ऐसे में भारत को रूस से मदद की उम्मीद हैं.
ब्रिक्स सम्मेलन को लेकर हुईं हालिया तैयारी बैठकों के दौरान भारतीय अधिकारियों ने रूसी समकक्षों के साथ डोकलाम के बारे में चर्चा के साथ रूस को यह बताने की कोशिश की हैं कि डोकलाम में सड़क बनाकर चीन यथास्थिति को तोड़ रहा हैं और भारत की सुरक्षा के लिए यह खतरनाक हैं. ३ से ५ सितंबर के बीच चीन के श्यामन में ब्रिक्स सम्मेलन होना हैं और रूस को भरोसा हैं कि यह सम्मेलन सफल होगा.हालांकि पेइचिंग ने इससे इनकार किया हैं
लेकिन उसका यह कदम भारत द्वारा अरुणाचल प्रदेश में दलाई लामा के स्वागत के विरोध से जोड़ कर देखा जा रहा हैं. भारत को ऐसी उम्मीद भी नहीं हैं कि रूस डोकलाम मुद्दे पर खुलकर उसका समर्थन करे. भारत चाहता हैं कि रूस कूटनीतिक रास्तों से चीन को विवादित जमीन पर रोड बनाने से रोकने की कोशिश करे. नई दिल्ली भारतीय हितों खासकर आतंकवाद जैसे मुद्दों पर रूस का समर्थन चाहता हैं| खबर नवभारत टाइम्स