अगस्त का महीना था जब भारत जी20 के सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने में लगा था। ठीक उसी वक्त चीन भारत के खिलाफ साजिशें रचने में लगा था। चीन ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (दुनिया एक परिवार है) को भारत की जी20 अध्यक्षता की थीम के रूप में शामिल करने पर आपत्ति जताई थी। अब उसी भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ दर्शन को संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया है। भारत ”वसुधैव कुटुम्बकम् ” की अवधारणा को आत्मसात करता चलता है। इसका अर्थ है कि हम पूरी पृथ्वी को एक परिवार की तरह मानते हैं।
स्थायी मिशन के परिसर में पट्टिका स्थापित
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के परिसर में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ शिलालेख वाली एक पट्टिका स्थापित की गई है, जो एकता और वैश्विक सहयोग के लिए नई दिल्ली की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। पट्टिका का अनावरण एक विशेष समारोह में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे और संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने किया।
वैश्विक चुनौतियों से निपटने में एकता और सहयोग पर जोर
हिंदी में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और अंग्रेजी में ‘द वर्ल्ड इज वन फैमिली’ वाक्यांश के साथ सोने की रंग की पट्टिका शहर में भारत के स्थायी मिशन के परिसर के प्रवेश द्वार के अंदर एक दीवार पर सजी हुई है। पट्टिका का अनावरण आईसीसीआर के साथ भारत के स्थायी मिशन द्वारा संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने के एक दिन बाद हुआ। वर्ष 2023 के लिए भारत की G20 प्रेसीडेंसी ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ या ‘एक पृथ्वी – एक परिवार – एक भविष्य’ विषय को अपनाया, जो वैश्विक चुनौतियों से निपटने में एकता और सहयोग को प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
चीन ने जताई थी आपत्ति
चीन ने पिछले महीने की G20 ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बैठक के साथ-साथ कई अन्य समान G20 दस्तावेजों के दौरान आउटकम डॉक्यूमेंट में इस वाक्यांश और इसके उपयोग का विरोध किया था, मुख्य रूप से क्योंकि संस्कृत संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त छह आधिकारिक भाषाओं में से एक नहीं थी। इसी तरह से G20 के बाकी डॉक्यूमेंट्स में भी इस शब्द का उपयोग है। चीन ने तर्क दिया कि जी-20 दस्तावेज आधिकारिक तौर पर ‘वसुधैव कुटुंबकम’ शब्द का उपयोग नहीं कर सकते। उसका कहना है कि यह एक संस्कृत भाषा का शब्द है और इस भाषा को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की तरफ से मान्यता दी गई। छह आधिकारिक भाषाओं में शामिल नहीं किया गया है।
यही भारत की पहचान
सहस्रबुद्धे ने अनावरण के अवसर पर कहा कि एक तरह से ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के पीछे के दर्शन ने आधुनिक भाषा में जिसे हम ब्रांड इंडिया कह सकते हैं, बनाया है। यह भारत की पहचान है; यह भारत का विश्व दृष्टिकोण है। जिसमें संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के कई भारतीय अधिकारियों, राजनयिकों के साथ-साथ महानिदेशक कुमार तुहिन और उप महानिदेशक अभय कुमार सहित आईसीसीआर के अधिकारियों ने भाग लिया।
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केन्द्रीय गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र (I4C) ने जनता को ऑनलाइन बुकिंग धोखाधड़ी के बारे में सचेत किया है। विशेष रूप से ऐसे मामलों को लेकर सचेत किया गया है, जिनमें देश में धार्मिक तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को निशाना बनाया जा रहा है। यह धोखाधड़ी नकली वेबसाइटों, भ्रामक सोशल मीडिया पेजों, फेसबुक पोस्ट और गूगल जैसे सर्च इंजनों पर Paid विज्ञापनों के माध्यम से की जा रही हैं। इन घोटालों में पेशेवर दिखने वाली लेकिन नकली वेबसाइटें, सोशल मीडिया प्रोफाइल और व्हाट्सएप खाते बनाकर निम्नलिखित सेवाओं की पेशकश की जाती है: * केदारनाथ, चार धाम के लिए हेलीकॉप्टर बुकिंग * तीर्थयात्रियों के लिए गेस्ट हाउस और होटल बुकिंग * ऑनलाइन कैब/टैक्सी सेवा बुकिंग * होलीडे पैकेज और धार्मिक यात्राएं संदेह किए बिना लोग इन पोर्टलों के माध्यम से भुगतान करने के बाद, अक्सर तब ठगे जाने का एहसास करते हैं जब बुकिंग की कोई पुष्टि या सेवा प्राप्त नहीं होती और संपर्क के लिए दिए गए नंबर पहुंच से बाहर (Unreachable) हो जाते हैं। लोगों को अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है: 1. कोई भी भुगतान करने से पहले वेबसाइट की प्रामाणिकता की हमेशा जांच करें। 2. गूगल, फेसबुक या व्हाट्सएप पर “प्रायोजित” या अज्ञात लिंक पर क्लिक करने से पहले सत्यापन करें। 3. बुकिंग केवल आधिकारिक सरकारी पोर्टलों या विश्वसनीय ट्रैवल एजेंसियों के माध्यम से करें। 4. ऐसी वेबसाइटों की तुरंत शिकायत राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: www.cybercrime.gov.in पर करें या किसी धोखाधड़ी के मामले में 1930 पर कॉल करें। 5. केदारनाथ हेलीकॉप्टर बुकिंग https://www.heliyatra.irctc.co.in के माध्यम से की जा सकती है। 6. सोमनाथ ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट https://somnath.org है और गेस्ट हाउस बुकिंग उसी के माध्यम से की जा सकती है।…
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गणतंत्र दिवस, 2026 के अवसर पर घोषित किए जाने वाले पद्म पुरस्कार-2026 के लिए ऑनलाइन नामांकन/सिफारिशें आज, 15 मार्च 2025, से शुरू हो गई हैं। पद्म पुरस्कारों के नामांकन की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2025 है। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन/सिफारिशें राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल https://awards.gov.in पर ऑनलाइन प्राप्त की जाएंगी। पद्म पुरस्कार, अर्थात पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में शामिल हैं। वर्ष 1954 में स्थापित, इन पुरस्कारों की घोषणा प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। इन पुरस्कारों के अंतर्गत ‘उत्कृष्ट कार्य’ के लिए सम्मानित किया जाता है। पद्म पुरस्कार कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा, विज्ञान एवं इंजीनियरी, लोक कार्य, सिविल सेवा, व्यापार एवं उद्योग आदि जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा के लिए प्रदान किए जाते हैं। जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं। चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को छोड़कर अन्य सरकारी सेवक, जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम करने वाले सरकारी सेवक भी शामिल है, पद्म पुरस्कारों के पात्र नहीं हैं। सरकार पद्म पुरस्कारों को “पीपल्स पद्म” बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। अत:, सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे नामांकन/सिफारिशें करें। नागरिक स्वयं को भी नामित कर सकते हैं। महिलाओं, समाज के कमजोर वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, दिव्यांग व्यक्तियों और समाज के लिए निस्वार्थ सेवा कर रहे लोगों में से ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों की पहचान करने के ठोस प्रयास किए जा सकते हैं जिनकी उत्कृष्टता और उपलब्धियां वास्तव में पहचाने जाने योग्य हैं। नामांकन/सिफारिशों में पोर्टल पर उपलब्ध प्रारूप में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिसमें वर्णनात्मक रूप में एक उद्धरण (citation) (अधिकतम 800 शब्द) शामिल होना चाहिए, जिसमें अनुशंसित व्यक्ति की संबंधित क्षेत्र/अनुशासन में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया हो। इस संबंध में विस्तृत विवरण गृह मंत्रालय की वेबसाइट (https://mha.gov.in) पर ‘पुरस्कार और पदक’ शीर्षक के अंतर्गत और पद्म पुरस्कार पोर्टल (https://padmaawards.gov.in) पर उपलब्ध हैं। इन पुरस्कारों से…