शराब पीने से ५ लोगों की मौत हुई थी बीते दिनों बिहार के रोहतास जिले के दन्वार गांव में और उसके बाद से सब जगह समीक्षा, धरपकड़ की प्रक्रिया तेज़ हो गई हैं वही राजधानी पटना को शराब मुक्त कराने के लिये हुई बैठक में पटना ज़ोन के आईजी नैयर हसनैन खान ने स्वीकारा की १३ ऐसे थाना अध्यक्ष पाए गए जिनकी सराब माफ़िया के ख़िलाफ़ अभियान में निष्क्रियता जगज़ाहिर हैं. इसी बैठक में वैसे पांच थाना के प्रभारी भी मिले जिनकी ना केवल शराब माफियाओं से नज़दीकी हैं बल्कि शराब के नशे में पकड़े गये लोगों से ऊँची रक़म वसूल कर रिहा करने के क़िस्से भी किसी से छिपे नहीं
ये बात भी कोई अनजानी नहीं कि बिहार में शराब के अवैध कारोबार में पुलिस वालों की मिली भगत रहती हैं. गाहे-बगाहे राज्य सरकार उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की औपचारिकता भी पूरी करती हैं. लेकिन पहली बार पटना पुलिस ने एक नहीं पाँच थानेदारों की मिली भगत स्वीकार की हैं. इन पांचों थानेदारों पर अपने इलाक़े में सराब की बिक्री के अलावा नशे में पकड़े जाने पर पैसे लेकर रिहा करने का आरोप लगा हैं और अब ख़ुद पटना ज़ोन के आईजी नैयर हसनैन खान ने जांच बिठा दी हैं. हालांकि अब डीआईजी को हर हफ़्ते सभी अधिकारियों से समीक्षा कर एक साप्ताहिक रिपोर्ट देने का नया आदेश दिया गया हैं. जो केवल शराब और उसके अवैध कारोबार से संबंधित होगा. इसी के आधार पर थाना के प्रभारी की ग्रेडिंग भी की जाएगी. लेकिन ये क़दम कितना प्रभावी होगा ये इस बात पर निर्भर करता हैं कि आख़िर इस मुहिम को पुलिस अधिकारी कितनी गंभीरता से लेते हैं. राज्य में पिछले साल अप्रैल से शराब बंदी लागू हुई हैं. तब से अब तक क़रीब ९० हज़ार लोग गिरफ़्तार हो चुके हैं. सराब पीने और इस धंधे में लगे क़रीब ३५०० लोग अभी भी जेल की हवा खा रहे हैं. शुरुआती दौर में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और राज्य पुलिस के आला अधिकारी शराब बंदी के बाद अपराध की घटना में कमी का दावा करते थे लेकिन अब एक बार फिर अपराध में वृद्धि हैं| खबर एनडीटीवी इंडिया