टेलीफोन ऑपरेटर से कानून मंत्री-बहुत कठिन सफर रहा है Meghwal का

बीकानेर । टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में काम करने के बाद जिलाधिकारी बनने और फिर देश के कानून मंत्री तक का सफर तय करने वाले अर्जुन राम मेघवाल ने लगातार चौथी बार बीकानेर से जीत दर्ज कर ना सिर्फ इतिहास रचा है बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संभावित मंत्रिपरिषद में मजबूत दावेदारी भी पेश की है। निर्वाचन आयोग के अनुसार भाजपा उम्मीदवार अर्जुन राम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के गोविंदराम मेघवाल को 55,711 मतों से हराया। अर्जुन राम को कुल 5,66,737 मत व गोविंदराम को 5,11,026 मत मिले। मेघवाल के राजनीतिक जीवन की विधिवत शुरुआत साल 2009 में हुई। 2009 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्‍त‍ि लेकर उन्होंने भाजपा के टिकट पर बीकानेर लोकसभा से पहला चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

वह 2014 के लोकसभा चुनाव में दूसरी बार सांसद निर्वाचित हुए। केन्द्र सरकार में वित्त व कंपनी मामलों के राज्य मंत्री, संसदीय कार्य, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री रह चुके मेघवाल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीकानेर से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए। वर्ष 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो मेघवाल को लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक तथा आवास समिति के अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा गया। प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2016 में मेघवाल को केंद्रीय वित्त व कॉर्पोरेट राज्य मंत्री का दायित्व दिया। 2019 में जब भाजपा दुबारा सत्‍ता में आई तो मेघवाल को भारी उद्योग एवं लोक उद्यम और संसदीय कार्य राज्यमंत्री का प्रभार दिया गया। मेघवाल अपने राजनीतिक व संवैधान‍िक दाय‍ित्‍वों के साथ साथ अन्‍य कदमों के कारण भी चर्चा में रहते हैं। चाहे वह साइकिल से संसद जाना हो या स्‍थानीय लोगों के बीच बागड़ी बोली में भजन बाणी करना। 

अपने पारंपरिक पहनावे व व्‍यवहार के कारण मतदाताओं के बीच उनकी अलग छव‍ि रही है। सात दिसंबर 1954 को बीकानेर के पास क‍िशमीदेसर गांव में एक साधारण दलित परिवार में पैदा हुए मेघवाल को साल 2023 में देश का कानून मंत्री बनाया गया। मेघवाल की पहचान एक सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले नेता के रूप में होती है। सरकार की तरफ से कार मिलने के बावजूद भी वह साइकिल चलाकर संसद आते थे। यहां तक कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए भी वह राष्ट्रपति भवन साइकिल से ही पहुंचे थे। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वस्त नेताओं में से एक माने जाने वाले मेघवाल के बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है कि इस शीर्ष पद तक पहुंचने से कई दशक पहले मेघवाल ने अपने कैरियर की शुरुआत बीकानेर में एक टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में की थी। अर्जुन राम मेघवाल की मात्र 13 वर्ष की उम्र में पाना देवी से शादी हो गई। अपने बुनकर पिता के साथ काम में हाथ बंटाते हुए मेघवाल ने एलएलबी और एमबीए की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद मेघवाल ने प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। उन्हें भारतीय डाक विभाग में टेलीफोन ऑपरेटर का पद मिला। राजनीति में अनौपचारिक रूप से उन्होंने तब कदम रखा जब उन्होंने टेलीफोन ट्रैफिक एसोसिएशन का चुनाव लड़ा और महासचिव चुने गए। टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में काम करते हुए मेघवाल ने दूसरे प्रयास में राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास कर ली। नौकरशाहों की शीर्ष टोली में इन्हें तब जगह मिली जब इनको भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी के रूप में पदोन्नति मिली। तब मेघवाल को राजस्थान में चुरू का जिलाधिकारी बनाया गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *