हथियारों के लिए थामा चीन का दामन
भारत के साथ अमेरिका की बढ़ती नजदीकिया और पाकिस्तान के साथ बढ़ती दूरियों के बीच, पाकिस्तान ने बड़ा कदम उठाते हुए अपनी सैन्य जरूरतों के लिए अब चीन का दामन थाम लिया हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने चीन के उच्च तकनीकी हथियारों के लिए अमेरिका से मुंह फेर लिया हैं.
इस बड़े बदलाव के लिए एफ-१६ लड़ाकू विमान की डील को जिम्मेदार माना जा रहा हैं. गौरतलब हैं कि तत्कालीन ओबामा प्रशासन ने एफ-१६ लड़ाकू विमानों की खरीद में पाकिस्तान की आर्थिक मदद करने से मना कर दिया था. दरअसल एफ-१६ लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच ७० करोड़ डॉलर की डील हुई थी,
जिसमें से करीब ४३ करोड़ डॉलर अमेरिका देने के लिए राजी हुआ. हालांकि अमेरिकी कांग्रेस ने बाद में इस पर रोक लगा दी. अमेरिका के साथ एफ-१६ का सौदा खत्म होने के बाद पाकिस्तान ने जेएफ-१७ लड़ाकू विमान पर अपना फोकस शिफ्ट कर लिया, जिसे वह चीन के साथ मिलकर बना रहा हैं. क्षमता के मामले में जेएफ-१७, एफ-१६ लड़ाकू विमानों को भी टक्कर देगा.
अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को एफ-१६ लड़ाकू विमान देने पर लगे इस बैन ने पाकिस्तान को सैन्य खरीद के लिए अमेरिकी सैन्य हथियार के बजाय चीन की तरफ झुकने पर मजबूर कर दिया. अपनी सैन्य खरीद के लिए पाकिस्तान पूरी तरह से चीन की तरफ आ गया हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट में जारी डेटा के अनुसार,
चीन से हथियारों के निर्यात में कमी
पाकिस्तान में अमेरिकी हथियार निर्यात पिछले साल एक बिलियन डॉलर से घटकर २१ मिलियन डॉलर हो गया. निर्यात का यह आंकड़ा साल २०१० से लेकर २०१७ तक का हैं. वहीं, इसी अवधि में चीन से हथियारों के निर्यात में कमी तो आई हैं, लेकिन वह अमेरिका से निर्यात होने वाले हथियारों के मुकाबले काफी कम हैं| खबर नवभारत टाइम्स