
मोदी ने कहा, “सरकारी खजाने से धन लुटाकर, टीवी-अखबारों में छाए रहने से, प्रचार में पैसा खर्च करके एसपी सरकार ने सोचा था कि लोगों की आंखों में ऐसी धूल झोंकेंगे कि लोग दूसरा कुछ देख ही नहीं पाएंगे।”
“ये जनता है सबकुछ जानती है। जनता बड़ी आसानी से दूध का दूध पानी का पानी कर लेती है।”
“आपके इरादे नेक हैं कि नहीं, नीयत साफ है कि नहीं, नीतियां ठीक हैं कि नहीं, प्राथमिकताएं उचित हैं कि अनुचित, ये जनता भलीभांति समझ लेती है।”
“आपके इरादे नेक हैं कि नहीं, नीयत साफ है कि नहीं, नीतियां ठीक हैं कि नहीं, प्राथमिकताएं उचित हैं कि अनुचित, ये जनता भलीभांति समझ लेती है।”
“कुछ लोगों को लगा कि सब जगह तो पिट गए, यूपी में शायद अपने पुरखों के नाम पर बच जाएं।”
“सुप्रीम कोर्ट को यूपी की सरकार को डांटना पड़ा कि अपने मंत्री गायत्री प्रजापति पर एफआईआर करो।”
“रेप पीड़िता और उसकी मां को न्याय पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। क्या आपने मां-बेटी की इज्जत लूटने के लिए सरकार बनाई थी? ये काम है या कारनामा।