भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा के सभी 543 निर्वाचन क्षेत्र के लिए अंतिम परिणाम जारी कर दिये, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 240 और कांग्रेस को 99 सीट पर विजयी घोषित किया गया है।
अंतिम परिणाम महाराष्ट्र के बीड निर्वाचन क्षेत्र का घोषित किया गया। इस सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार बजरंग मनोहर सोनवणे ने भाजपा की पंकजा मुंडे को 6,553 मतों से हराया।
लोकसभा में 543 सदस्य हैं, लेकिन सूरत से भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल के निर्विरोध निर्वाचित होने के बाद 542 सीट के लिए मतगणना हुई।
बुधवार को जारी किए गए अंतिम परिणाम के अनुसार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे हैं।
हालांकि, तीन हिन्दी भाषी राज्यों में भाजपा को बड़ी संख्या सीटों का नुकसान हुआ है।
भाजपा के उम्मीदवारों ने इस बार भी मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी 240 सीट जीत पाई जो कि बहुमत के लिए 272 सीट के आंकड़े से कम है।
ऐसे में भाजपा को सरकार बनाने के लिए राजग में सहयोगी दलों के समर्थन की जरूरत है। वर्ष 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने 303 और वर्ष 2014 के चुनावों में 282 सीट जीती थीं।
राजग में प्रमुख सहयोगी एन चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने आंध्र प्रदेश में 16 और नीतीश कुमार की जनता दल-यूनाइटेड (जद-यू) ने बिहार में 12 सीट पर जीत हासिल की है।
ऐसे में उपरोक्त दोनों और अन्य सहयोगियों के समर्थन से राजग ने बहुमत का आंकड़ा तो पार कर लिया है।
विपक्षी दलों के समूह ‘इंडिया’ में शामिल कांग्रेस ने वर्ष 2019 की 52 सीट की तुलना में 99 पर जीत दर्ज की है।
राजस्थान और हरियाणा में कांग्रेस के पहले से बेहतर प्रदर्शन के कारण इन राज्यों में भाजपा को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।
समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश में 37 सीट जीतकर ‘इंडिया’ को मजबूत स्थिति में ला दिया है, जबकि विपक्षी गठबंधन के एक अन्य प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल में 29 सीट जीती हैं, जो वर्ष 2019 की 22 सीट की तुलना में अधिक हैं।
वहीं, पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य में 18 सीट जीतने वाली भाजपा इस बार 12 पर ही जीत हासिल कर पाई।
नतीजों में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को उतनी भारी जीत नहीं मिली जिसकी उसे उम्मीद थी और जैसा कि विभिन्न ‘एग्जिट पोल’ में अनुमान व्यक्त किया गया था।
सात चरणों में 19 अप्रैल से 1 जून तक हुए चुनाव में 64 करोड़ से अधिक लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
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