कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन 22 जनवरी को राज्य में सरकारी अवकाश घोषित करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
बाईस जनवरी को सरकारी छुट्टी घोषित करने की भाजपा की मांग पर सिद्धरमैया ने कहा कि उन्होंने अबतक कोई ऐसा अनुरोध पत्र नहीं देखा है।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘अबतक तो नहीं। हम देखेंगे। मैंने ऐसा कोई पत्र अबतक नहीं देखा है। हम देखेंगे।’’
पत्रकारों ने उन्हें (सिद्धरमैया को)बताया कि कर्नाटक विधानपरिषद में विपक्ष के नेता कोटा श्रीनिवास पुजारी ने उन्हें इस संबंध में एक पत्र भेजा है।
मुख्यमंत्री को यह भी बताया गया कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने भी ऐसी ही मांग रखी है।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘ अबतक तो नहीं। हम देखेंगे। मैंने अबतक पत्र नहीं देखा है। देखते हैं।’’
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अयोध्या जायेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने पहले ही कह दिया है कि मैं किसी और दिन वहां जाऊंगा, तो आप यह प्रश्न क्यों दोहरा रहे हैं?’’
मुख्यमंत्री ने पहले कहा था कि वह अयोध्या जायेंगे, लेकिन 22 जनवरी को नहीं। उन्होंने भाजपा पर चुनावी फायदे के लिए राममंदिर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का भी आरोप लगाया था।
इस बीच, बेंगलुरु में शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में विजयेंद्र ने कहा कि कर्नाटक से भगवान राम के संबंध के मद्देनजर राज्य सरकार को 22 जनवरी को अवकाश घोषित करने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि किष्किंधा क्षेत्र विजयनगर जिले के हंपी में है। रामायण के मुताबिक, किष्किंधा क्षेत्र में वानरों का राज्य था।
पड़ोसी कोप्पल जिले में अंजनाद्रि पहाड़ी भगवान राम के परम भक्त हनुमान का जन्मस्थान था।
शिकारीपुरा के विधायक विजयेंद्र ने कहा ,‘‘प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा न केवल भारत, बल्कि पुरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक अवसर है, क्योंकि कई देश इसे लेकर बहुत उत्साहित हैं।’’
विजयेंद्र ने राज्य सरकार से इस दौरान अशांति पैदा करने या अप्रिय घटना को अंजाम देने की किसी भी कोशिश को नाकाम करने के लिए अलर्ट रहने का आह्वान किया।
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